Hindi Poems Online
आपकी हमारी प्यारी और बहुत सारी कविताए
गुडिय़ा रानी
डॉक्टर देखो भली प्रकार,
मेरी गुडिय़ा पड़ी बीमार,
कल बरसा था रिमझिम पानी,
उसमें भीगी गुडिय़ा रानी,
गीले कपड़े दिए उतार,
फिर भी आया तेज बुखार,
डॉक्टर दे दो दो-2 पुडिय़ा,
ले जाऊं मैं अपनी गुडिय़ा,
जब तक उतरे नहीं बुखार,
तब तक पैसे रहे उधार।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें